अपनों के दिये गम..
कह भी नहीं पाते..
सह भी नहीं पाते..!!
दोस्तों हम जिन्दगी जो जीते है अपनों के प्यार अपनों की ख़ुशी के लिए जीते है हमारे जीने का मकसद हि यही रहता है की ,हम हमारे अपनों को हमेशा प्यार दे,लेकिन कभी कभी ना चाहते हुए भी हमें ऐसा दर्द मिलता है न तो हम सह नहीं पते है ,खास क्र तो अपनों का गम सच कहा न
और हमें हमारे अपनों का नफरत गम बहुत जादा हि तकलीफ देता है ,आप दिनिया की हर गम शाह सकता है मगर हमारे अपनों का गम सह नहीं जाता है क्यों दोस्तों एक अकेला इन्सान सारी दुनिया से लड़सकता है मगर अपनों के नफरत दर्द गम से को नहीं शाह सकता है …..