मोटीवेस्नल शायरी
लकीरें अपने हाथों की बनाना हमको आता है,
वो कोई और होंगे अपनी किस्मत पे जो रोते हैं।
लकीरें अपने हाथों की बनाना हमको आता है,
वो कोई और होंगे अपनी किस्मत पे जो रोते हैं।
मुझे ना तन चाहिए ना धन चाहिए,
बस अमन से भरा यह वतन चाहिए,
जब तक जिन्दा रहूं इस मातृ-भूमि के लिए,
और जब मरुँ तो तिरंगा कफ़न चाहिये..!!
कमियां भले ही हजारों हो तुममें लेकिन
खुद पर विश्वास रखो कि तुम सबसे
बेहतर करने का हुनर रखते हो.
मेरा जूनून मेरी दीवानगी मेरी इन्तहा हो तुम,
तुम्हे भला कैसे समझाए मेरे लिए क्या हो तुम|
समझा न कोई दिल की बात को,
दर्द दुनियां ने बिन सोचे ही दे दिया,
जो सह गए हर दर्द को हम चुपके से
तो हमको ही पत्थर दिल कह दिया।
तुम आये तो लगा हर खुशी आ गई,
यू लगा जैसे ज़िन्दगी आ गई…
था जिस घड़ी का मुझे कब से इंतज़ार
अचानक वो मेरे करीब आ गई …