अगर तेरे बगैर जीना आसान होता,
तो कसम है मोहब्बत की,
तुझे याद करना भी गुनाह समझते.
दोस्तों तो लोगो को आसानी से हो जाता है लेकिन दोस्तों उसका दर्द बाद में मिलता है जब तक हालत ऐसे हो जाता है जैसे जल बिन मछली का जैसे मछली को पानी से निकालो बेचारी मर जाती है वैसे एक आशिक हाल हो जाता है मोहब्बत का ये ऐसा जहर बन जाता है और गले में ऐसे फस जाती है जिसे बाहर निकाल भी नहीं सकते और निगल भी नहीं सकते है हर आशिक का अपना,
अलग दर्द है इस तडप को अगर सुनाये भी तो किसे मोहब्बत इस कदर हो जाता है की उसके बिना पल हम एक की सोच कर घबरा जाते है अगर वो सच में हमारे जिन्दगी से चले जाये तो शायद हम जिन्दा भी ना बचे अब सच्ची मोहब्बत कोई गुनह तो नहीं है ना दोस्तों हम भगवान् से यही दुवा करते है की हर सच्चे आशिक को उसका प्यार जरुर मिले चाहे इतना भी परेशानी आये.