कोई मिलता ही नहीं हमसे हमारा बनकर
वो मिले भी तो एक किनारा बनकर,
हर ख्वाब टूट के बिखरा काँच की तरह,
बस एक इंतज़ार है साथ सहारा बनकर।
कोई मिलता ही नहीं हमसे हमारा बनकर

कोई मिलता ही नहीं हमसे हमारा बनकर
वो मिले भी तो एक किनारा बनकर,
हर ख्वाब टूट के बिखरा काँच की तरह,
बस एक इंतज़ार है साथ सहारा बनकर।