मुझे बस ये एक रात

मुझे बस ये एक रात नवाज दे,
फिर उसके बाद सहर ना हो,
मेरी तरस्ती रूह को लगा गले,
की फिर बिछड़ने का डर ना हो ।

Dev Aggarwal

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