क्या कहु मुझे कितना रुलाती है
क्या कहु मुझे कितना रुलाती है , जब जब भी तुम्हारी यादआती है, वो दिन कितने हसीन थे, वही लम्हा …
क्या कहु मुझे कितना रुलाती है , जब जब भी तुम्हारी यादआती है, वो दिन कितने हसीन थे, वही लम्हा …
वो गये दिन गुजर जिसे हम याद करते है ,फिर भी पुरानी याद पर मरते है,पता है गुजरा हुया लम्हा …
तेरा साथ अब किसी किस्से सा लगता है.बीते पुराने पलों के हिस्से सा लगता है.रुक जाना नहीं चाहता अब मैं …