अपने अंदर से अहंकार को निकाल कर,
स्वयं को हल्का करें,
क्योंकि ऊँचा वही उठता है जो हल्का होता है.
दोस्तों अहंकार से भरा हुआ इन्सान भी अपनी अपने आप के बारे में सही नहीं सोच सकता ,क्युकी वो अहंगकर में इतना डूबा रहता है की उसे अपने सिवा कुछ दिखाई नहीं देता है ,और दुनिया की उस उचाई तक नहीं पहुच सकता जहा तक वो पंहुच सकता है ,वो अहंकार में इतन हो जता है जिससे वो औरो की तरक्की से अपने तक्की भूल जता है ,इस तरह के लोग होते है अहंकार के पुजारी ….
अगर दोस्तों अपने आपको ऊँचा उतना है तो अहंकारर त्याग कर प्रेम पूर्वक सबके सम्मान करते हुए ,जो इन्सान मेहनत करके भी आगे नहीं बढता उसे मद्दद दे ,और उसे आगे बदने में मदद करे तभी इन्शान आगे बढता है .धन्यवाद दोस्तों