बरसात पर हिंदी शायरी

चांद को मामा बताए अब वो रात नहीं होती ,
सावन के झूलों से अब सखियों कि बात नहीं होती ,
आम और जमीन ने भी बहुत तलाशा बचपन को,
कागज की कश्ती लेकर भी अब बरसात नहीं होती,.

दोस्तों बरसात एक ऐसा मौसम होता है जिसमे हर आदमी अपना सारा गम भूल कर सावन के पानी में भीग जाते है एक खुशियों का माहोल बन जाता है और जब बरसात की पहली पानी गिरती है किसान का मन ह्र्दय झूम जाता है दोस्तों और बरसात के साथ साथ हमारे हिन्दू संस्कृति में पर्व का माहोल आ जाता है एक खुशियों का बाड़ सी आ जातिया है दोस्तों आप सबको पता,

और दोस्तों हमारे बचपन के दिनों का तो फिर बात ही निराला था पहले जैसे वो दिन हमें वापस कभी नहीं मिल सकता है दोस्तोंपहले हम बारिश के मौसम में झुला बनाकर बरसात में झुला करते थे आम इमली के लिए बचपन में दूर कही निकल जाते थे और जब बरसात होती तो तो हम कागज के नाव बनाते थे और पानी बहा देते थे शायद वो दिन स्वर्ग की खुशिया कम पद जाती