उजड़ रहे है सबके घरोंदे ऐसी आफत आई है,
हो रहा है तिनका तिनका खून के आशुं रुलाई है,
शमशान में भी जगह नहीं ऐसा वक्त देख रहा हु,
फिर भी जिन्दगी के तलास में ऐसी बाते लिख रहा हु,
भूख ऐसी रुला रही है नहीं कोई कमाई,
रो रहे है घर में बच्चे ,बोल रही है लुगाई,
जाऊ तो मै कहा जाऊ दिखता नहीं कोई किनारा,
दिल में ये उम्मीद जगी है देदे कोई साहारा,,
गाव सुना है शहर सूना है,शमशान में लगी है भीड़,
कभी किसी ने सोचा नहीं होगा,इंतनी ख़राब होगी लकीर..
कोरोना पर हिंदी शायरी
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