फरियाद कर रही है यह तरसी हुई निगाह,
देखे हुए किसी को ज़माना गुजर गया।
एक लम्हे के लिए मेरी नजरों के सामने आजा,
एक मुद्दत से मैंने खुद को आईने में नहीं देखा।
कब आ रहे हो मुलाकात के लिये,
हमने चाँद रोका है एक रात के लिये।
किन लफ्जों में लिखूँ मैं अपने इन्तजार को तुम्हें,
बेजुबां है इश्क़ मेरा ढूँढता है खामोशी से तुझे।
किश्तों में खुदकुशी कर रही है ये जिन्दगी,
इंतज़ार तेरा…मुझे पूरा मरने भी नहीं देता।
पल भर का प्यार और बरसों का इंतज़ार,
जैसे कोई अपना ही अपने घर को लूट रहा है…
ख़्वाब सजाकर उसका इंतज़ार करता रहा मैं…
इसी तरह एक बेवफ़ा से प्यार करता रहा मैं
हालात कह रहे है., के अब मुलाक़ात नहीं होगी…..उम्मीद कह रही हैं…, ज़रा इन्तेज़ार कर…..
आँखें भी मेरी पलकों से सवाल करती है,
हर वक़्त आपको ही तो याद करती है,
जब तक देख न लें चेहरा आपका,
तब तक हर घडी आपका इंतज़ार करती है !!
तड़प के देखो किसी की चाहत में
,तो पता चलेगा, कि इंतजार क्या होता है,
यूं ही मिल जाए, कोई बिना चाहे,
तो कैसे पता चलेगा, कि प्यार क्या होता है।
नमस्कार दोस्तों शयरिपंडा में आपका हार्दिक स्वागत है ,दोस्तों आप सभी को पता है ,इन्तजार किस चीज का नाम है जो हमारी जिन्दगी से कभी ख़त्म नहीं होती ,किसी को मोहब्बत का इन्तजार ,किसी को अच्छे दिन का इन्तजार ,किसी को बिछड़े हुए साथी का इन्तजार तो ,किसी को रुके हुए पैसे का इन्तजार ,इन्तजार हमारी जिन्दगी से कभी नहीं जाती ,एक तरीके से ये हमारी साथ साथ चलती है ,और मौत तक पीछा करती है जब हम इस दुनियां को छोड़ के चले जाते है न तब कही ये इन्तजार की पंछी हमारी जिन्दगी की पिंजरा से आज़ाद होती है दोस्तों .
दोस्तों ये इन्तजार भी कई तरह के होती है ,एक प्रेमी को अपने प्यार का इन्तजार ,इन्तजार का कभी कोई समय नहीं होता ये इंतजार ये २मिनट का हो सकता है २घंठे का हो सकता है २साल का हो सकता या तो जिन्दगी भर का हो सकता है ,बस इन्तजार इन्तजार में फर्क है ,किसी के इन्तजार में कोई अपनी पूरी जिन्दगी इन्तजार में लगा देता है तो कोई ,२मिनत इन्तजार करके बहुत सा प्यार पा लेता है तो कोई जिन्दगी भर इन्तजार करके के खाली हाथ रह जाता है,दर्द तकलीफ तो इंसान के तक़दीर में लिखा होता है जिसे हम चाह के भी मिटा नहीं ..
लेकिन एक दर्द होता है ,इंतज़ार का जिसका दर्द ही अलग है कितनी तड़प कितनी बेचैनी होती है ,हं लेकिन जब इन्तजार की घडी ख़त्म होती है न ,दोस्तों तो उस समय की ख़ुशी को बया कर पाना बहुत मुश्किल होता है ,ऐसा लगता है ,जैसे सारे जहा का खुशियाँ आज कुदरत ने शायद मुझे ही दे दिया हो ,पर हर बार इंतजार का फल मीठा नहीं होता ,हर इन्तजार में खुशियाँ नहीं होती,कोई किसी का के इन्तजार में साड़ी जिन्दगी गुजार देता है लेकिन उस के हाथ कुछ नहीं आता सिफ इन्तजार के दर्द के .रुसवाई के ,हर किसी के जिन्दगी एक जैसे नहीं होता ,यही तो जिन्दगी का खेल है जिन्दगी का उसूल है ,जिसे इंसान कभी बदल नहीं सकता ……..|