जीने का हौसला कभी मरने की आरज़ू,
दिन यूँ ही धूप-छाँव में अपने भी कट गए।
ज़िन्दगी उस अजनबी मोड़ पर ले आई है,
तुम चुप हो मुझसे और मैं चुप हूँ सबसे।
कितना मुश्किल है ज़िन्दगी का ये सफ़र,
खुदा ने मरना हराम किया लोगों ने जीना।
सरे-आम मुझे ये शिकायत है ज़िन्दगी से,
क्यूँ मिलता नहीं मिजाज़ मेरा किसी से।
आराम से तन्हा कट रही थी तो अच्छी थी,
ज़िन्दगी तू कहाँ दिल की बातों में आ गयी।
जाने कब आ के दबे पाँव गुजर जाती है,
मेरी हर साँस मेरा जिस्म पुराना करके।
पहचानूं कैसे तुझको मेरी ज़िन्दगी बता,
गुजरी है तू करीब से लेकिन नकाब में।
फुरसत अगर मिले तो मुझे पढ़ना जरूर,
नाकाम ज़िंदगी की मुकम्मल किताब हूँ मैं।
रोज़ दिल में हसरतों को जलता देखकर,
थक चुका हूँ ज़िन्दगी का ये रवैया देखकर।
बख्शा है ठोकरों ने सँभलने का हौसला,
हर हादसा ख्याल को गहराई दे गया।
नमस्कार दोस्तों शयरिपंडा में आपका हार्दिक स्वगत है ,जिंदगी ये जिंदगी क्या है ये जिन्दगी सारी दुनियां को भूल कर अपनी अच्छी जीवन के लिए मेहनत करता है उसे धोखा देती है जिन्दगी ,जो सारी मांगता है उसे कुछ नहीं मिलता ,और जिसे बिना मांगे मिल जाता है वो है जिन्दगी कभी जीने की आरजू ,कभी मरने की आश ,कभी ख़ुशी कभी दुःख कभी धुप कभी छाव ये है जिन्दगी ,किसी को जिन्दगी से प्यार होता है किसी का जिन्दगी बेकार होता है ,कभी कभी हमें जिन्दगी बिना चाहे आइसे रास्ते में खड़ा कर देता है जिसमे क्या करे समझ नहीं आता ,
लेकिन चाहे जैसा भी भी दुःख हो दर्द हो धुप हो छाव हो किसी भी हाल में जिन्दगी से पीछा तो छुड़ाया नहीं जा सकता है ,जैसा भी हो जिन्दगी तो जीना ही पड़ता है ,हमें अपनी जिन्दगी से मोहब्बत भी है ,और शिकायत भी ,कभी दुःख तो कभी ख़ुशी ये जिन्दगी में आते जाते रहते है फिर भी शिकायत करे भी तो किसे करे आज कल भगवान् भी आँख बनबंद करके रखा है ,हम लोगो की तकलीफ देख केउसे फर्क नहीं पड़ता ,अपना जिन्दगी अपने हिसाब से जिओ करके ,इसलिए कैसा भी हो जैसा भी हाल हो जिन्दगी से मोहब्बत करना चाहिए …|