सज़ा लगती है मुझको ज़िन्दगी बिन तेरे जीने में !
जुदाई ज़हर है जैसे कि सावन के महीने में !
हमे आदत ही ऐसी ज़िन्दगी में हो गई अब तो !
मज़ा आता नही हमको बिना ज़ख़्मो के जीने में !!मोहब्बत की तदप सिर्फ एक सच्चा आशिक ही जान सकता है और कोई दूसरा नहीं क्युकी उसका दर्द सिर्फ एक आशिक को ही दिखाई देगा जिसने कभी किसी से प्यार किया हो ,अपने प्यार के बिना जीना ही नहीं आता है तो क्या करे दोस्तों ..
एक आशिक के लिये अपने अपने पयार से मिलने की ख़ुशी दुनिया की हर ख़ुशी से बड कर होती है कोई दूसरा ख़ुशी उसके सामने फीका पड़ जाता है ,दोस्तों और जब जुदाई का समय आता है तो फिर क्या पूछना उसके दर्द को खास कर कहते सावन का महिना आशिको के लिए बड़े ही सुनहरा पल होता है और सावन में ही जुदाई जहर से बड कर है दोस्तों .