सपने और लक्ष्य में एक ही अंतर है,
सपने के लिए बिना मेहनत की नींद चाहिए,
और लक्ष्य के लिए बिना नींद की मेहनत.
कहते कठीन परिश्रम से हि मंजिल तक पंहुचा जाता है ना की सिर्फ सपने देखने से,मेहनत करके हि एक गरीब इन्सान ,अपने और अपने परिवर का पेट भरता है ना की सिर्फ सपने देख कर ,इसलिए सपने हकीकत में अंतर होता है ,सपने तभी आता है जब ,पेट भरा हो ,सपने तो सभी देख सकते है ,लेकिन उस सपने तक पहुचने के कठीन परिश्रम करना पड़ता है ,एक लक्छ्य बनना पड़ता है ,सपने देखने के लिये बिना मेहनत का नींद चाहिए ,जो इन्सान खली रहता है ,भर पेट खा कर सोता है ,वही को सपने आते है,और जो लोग ,अपने सपने को ल्छ्य बना कर चलते है उसे नींद भी नहीं आती ,इसलिए दोस्तों अगर आप अपने सपने पूरा करना चाहते है तो ,तो कड़ी मेहनत कीजिये,कर्म के पिछे तो भगवान् भी झुकते है तो ,सच्ची मेहनत करोगे तो आपको भी आप अपना ल्ग्छ्या जरुर मिलेगा.