माँ पर शायरी

पहाड़ो जैसे सदमे झेलती है उम्र भर लेकिन,
इक औलाद की तकलीफ़ से माँ टूट जाती है।

मांगने पर जहाँ पूरी हर मन्नत होती है,
माँ के पैरों में ही तो वो जन्नत होती है। 

चलती फिरती आंखों से अजां देखी है,
मैंने जन्नत तो नहीं देखी लेकिन मां देखी है।

कल माँ की गोद में,
आज मौत की आग़ोश में,
हम को दुनिया में ये दो वक़्त बड़े सुहाने से मिले।

गिन लेती है दिन बगैर मेरे गुजारें हैं कितने भला कैसे कह दूं कि माँ अनपढ़ है मेरी। 

मुझे माफ़ कर मेरे या खुदा,
झुक कर करू तेरा सजदा, तुझसे भी पहले माँ मेरे लिए,
ना कर कभी मुझे माँसे जुदा!

आँसू निकले परदेस में भीगा माँ का प्यार
दुख ने दुख से बात की बिन चिट्ठी बिन तार।

लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती,
बस एक मां है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती।

मैं रात भर जन्नत की सैर करता रहा यारों,
सुबह आँख खुली तो सर माँ के कदमों में था। 

वह माँ ही है जिसके रहते,
जिंदगी में कोई गम नहीं होता,
दुनिया साथ दे या ना दे पर,
माँ का प्यार कभी कम नहीं होता।

नमस्कार दोस्तों शायरी पांडा आपका दिल से हार्दिक स्वागत करता है ,दोस्तों माँ ,माँ नाम सुनते ही मन में एक अजीब सा स्नेह और दर्द उत्पन्न हो जाता है ,हरी दुनियां की मोहब्बत एक तरह और ,माँ का प्यार एक एक तरफ ,जिसका जगह कोई नहीं ले सकता ,माँ माँ होती है हम दोस्तों किसी लड़की के दो दिन के प्यार में पागाल हो जाते है ,तो सोचो जिसने हमें नो महीने अपने होग में हमें पाला जवानी तक प्यार किया हमारी छोटी बड़ी हर एक जरुरतो को हमसे पहले पहचाना ,वो हमें कितना प्यार करती होगी आज की शायरी माँ के नाम ..|