ना राह मालूम है, और ना ही मंजिल का पता,
जिये जा राहा तेरी यादों में इसमें मेरी क्या खता,
तुम्हें पाना अब शायद मुमकिन नहीं,
पर तेरे बिना जी नहीं सकता तुझे क्या पता।
ना राह मालूम है, और ना ही मंजिल का पता,
जिये जा राहा तेरी यादों में इसमें मेरी क्या खता,
तुम्हें पाना अब शायद मुमकिन नहीं,
पर तेरे बिना जी नहीं सकता तुझे क्या पता।